20 दिन में चौथी किरकिरी: सऊदी ने नवाज से पूछा- हमारे साथ हो या कतर के?
इस्लामाबाद. पाकिस्तान को अरब देशों और कतर के बीच मध्यस्थता करने की कोशिश महंगी पड़ गई। आर्मी चीफ के साथ सऊदी अरब गए नवाज से सऊदी किंग सलमान ने दो टूक पूछ लिया- आप हमारे साथ हैं या आतंकवाद का समर्थन करने वाले कतर के। जाहिर है, नवाज के लिए ये मुश्किल और शर्मसार करने वाला लम्हा था। वैसे बीते 20 दिन में नवाज तीन बार और किरकिरी करा चुके हैं। पिछले महीने के आखिर में सऊदी में ही नवाज से ट्रम्प ने बातचीत नहीं की, इस्लामिक-अमेरिका समिट में उन्हें बोलने का मौका नहीं मिला और शी जिनपिंग ने पिछले दिनों कजाकिस्तान में उनसे बाइलेटरल बातचीत से इनकार कर दिया। इस बार क्या हुआ...
2. स्पीच का मौका भी नहीं दिया: इसी इवेंट के लिए जब नवाज इस्लामाबाद से रियाद जा रहे थे तो पूरी फ्लाइट के दौरान अपनी स्पीच रटते रहे। लेकिन, नवाज को वहां बोलने का मौका ही नहीं दिया गया। जबकि, उनके सामने ही ट्रम्प ने पाकिस्तान का नाम लेकर उसे फटकार लगाई।
3. शी जिनपिंग ने भी नहीं दी तवज्जो:वैसे तो, चीन और पाकिस्तान को एवरग्रीन फ्रेंड कहा जाता है लेकिन पिछले दिनों कजाकिस्तान में SCO मीटिंग के दौरान शी जिनपिंग ने नवाज शरीफ से बाइलेटरल बातचीत से इनकार कर दिया था। चीन उसके दो नागरिकों की पाकिस्तान में हत्या से बेहद नाराज है।
- बता दें कि सऊदी अरब, UAE, मिस्र और बहरीन ने कतर पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए उसके साथ सभी रिश्ते तोड़ लिए हैं। इसके अलावा इन देशों ने कतर से आने और जाने वाली फ्लाइट भी बंद कर दी हैं। अमेरिका ने भी इन देशों का समर्थन किया है।
बड़े अरमान लेकर गए थे नवाज
- पाकिस्तान के हजारों मजदूर कतर में हैं। उसे वहां से काफी फंड भी मिलता है। जाहिर है कतर का बुरा वक्त पाकिस्तान के लिए भी बुरा वक्त ही होगा। ये इसलिए और ज्यादा सख्त होगा क्योंकि पाकिस्तान पहले ही पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खस्ता है।
- नवाज एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे। एक तो वो पाकिस्तान को मध्यस्थ के तौर पर पेश करके खुद को बड़ा नेता साबित करना चाहते थे और दूसरा अपने देश पर आने वाला नया आर्थिक संकट टालना चाहते थे।
- ये दिखाने के लिए की सेना और सरकार साथ हैं, नवाज अपने साथ आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को भी ले गए।
- पाकिस्तान के हजारों मजदूर कतर में हैं। उसे वहां से काफी फंड भी मिलता है। जाहिर है कतर का बुरा वक्त पाकिस्तान के लिए भी बुरा वक्त ही होगा। ये इसलिए और ज्यादा सख्त होगा क्योंकि पाकिस्तान पहले ही पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खस्ता है।
- नवाज एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे। एक तो वो पाकिस्तान को मध्यस्थ के तौर पर पेश करके खुद को बड़ा नेता साबित करना चाहते थे और दूसरा अपने देश पर आने वाला नया आर्थिक संकट टालना चाहते थे।
- ये दिखाने के लिए की सेना और सरकार साथ हैं, नवाज अपने साथ आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को भी ले गए।
लेकिन, सऊदी के आगे चुप
- पाकिस्तान के अखबार ‘द ट्रिब्यून’ के मुताबिक, सऊदी किंग ने नवाज की बातें सुनीं और फिर सिर्फ एक ही सवाल किया। उन्होंने पूछा- आप आतंकवाद का समर्थन करने वाले कतर के साथ हैं या हमारे साथ? दरअसल, सऊदी चाहता है कि पाकिस्तान खुलकर उसका साथ दे। लेकिन, पाकिस्तान ऐसा कर नहीं सकता।
20 दिन, 3 मौके और नवाज हर बार शर्मसार
- पाकिस्तान के अखबार ‘द ट्रिब्यून’ के मुताबिक, सऊदी किंग ने नवाज की बातें सुनीं और फिर सिर्फ एक ही सवाल किया। उन्होंने पूछा- आप आतंकवाद का समर्थन करने वाले कतर के साथ हैं या हमारे साथ? दरअसल, सऊदी चाहता है कि पाकिस्तान खुलकर उसका साथ दे। लेकिन, पाकिस्तान ऐसा कर नहीं सकता।
20 दिन, 3 मौके और नवाज हर बार शर्मसार
1. ट्रम्प ने नहीं की थी मुलाकात: पिछले महीने (20 और 21 मई) इस्लामिक-अमेरिकन समिट के लिए नवाज सऊदी गए। सऊदी अफसरों से मिन्नत करते हुए कहा कि किसी तरह चंद मिनट के लिए ही सही ट्रम्प से मुलाकात करा दें। लेकिन, ट्रम्प ने बात करना तो दूर ठीक से हाथ भी नहीं मिलाया।
2. स्पीच का मौका भी नहीं दिया: इसी इवेंट के लिए जब नवाज इस्लामाबाद से रियाद जा रहे थे तो पूरी फ्लाइट के दौरान अपनी स्पीच रटते रहे। लेकिन, नवाज को वहां बोलने का मौका ही नहीं दिया गया। जबकि, उनके सामने ही ट्रम्प ने पाकिस्तान का नाम लेकर उसे फटकार लगाई।
3. शी जिनपिंग ने भी नहीं दी तवज्जो:वैसे तो, चीन और पाकिस्तान को एवरग्रीन फ्रेंड कहा जाता है लेकिन पिछले दिनों कजाकिस्तान में SCO मीटिंग के दौरान शी जिनपिंग ने नवाज शरीफ से बाइलेटरल बातचीत से इनकार कर दिया था। चीन उसके दो नागरिकों की पाकिस्तान में हत्या से बेहद नाराज है।
Post a Comment